कटनी जंक्शन -- सत्य परेशान हो सकता है लेकिन पराजित नहीं हो सकता शिक्षा का मंदिर कहे जाने वाला शिक्षा विभाग जिसे केंद्र सरकार या राज्य सरकार द्वारा कई करोड़ों रुपए खर्च कर बच्चों को अच्छी शिक्षा दी जाना चाहिए वहीं एक और वर्तमान की स्थिति में शिक्षा विभाग को कुछ लोगों ने राजनीति का रुख अपनाते हुए पर्दे के पीछे बैठे सफेदपोशों से सांठ-गांठ कर शिक्षा जगत को भी नहीं छोड़ा ऐसे भ्रष्ट लोगों ने राजनीतिक संरक्षण के चलते शिक्षा विभाग को ही राजनीतिक अड्डा बना लिया जहां पर सत्य का पाठ पढ़ाया जाता है, जब उस मंदिर में भी सत्य की पराकाष्ठा को त्याग कर असत्य की नींव तैयार करने लगे आखिर ऐसे मंदिर का क्या होगा
कटनी जिले के शासकीय महाविद्यालय बरही के प्रभारी प्राचार्य डॉ.आर.के.वर्मा जिन्हें राजनीतिक तरीके से झूठे मामलों में फंसाकर जेल भेजा गया जो वर्तमान में विगत ढाई वर्ष से निलंबित है जिन पर महिला उत्पीड़न के गंभीर आरोप फर्जी तरीके से तैयार किए गए और उन्हें 24 दिनों तक जेल के सलाखों तक पहुंचाया गया ,उनके मान सम्मान को विभाग में बैठे ही कुछ लोगों ने ठेस पहुंचाने का कार्य किया है जांच कमेटी के द्वारा गंभीर आरोपों की गहराइयों तक वास्तविकता को बिना खगाले छात्राओं के आरोपों की जंजीरों से जकड़ दिया आखिर वह कैसी जांच कमेटी जिसने महज 1 घंटे में फर्जी रिपोर्ट बनाकर एक स्वच्छ बेदाग व्यक्ति को गंभीर आरोपों में जकड़ दिया इसका पूरा परिदृश्य R C T NO..639/2023 में देखने को मिलता है जिसमें बरही महाविद्यालय की छात्राओं से रिजल्ट सुधार को बताकर किस प्रकार से साजिश पूर्ण दस्तावेज तैयार किए गए उसकी पारदर्शिता स्पष्ट होती है और किस प्रकार से डॉक्टर वर्मा के कैरियर पर दाग लगाया गया अत्यंत खेदजनक सोचनीय प्रश्न है । बरही माननीय सिविल कोर्ट ने अपने निर्णय में पूरा खुलासा कर डॉ. वर्मा को झूठे आरोपों से निर्दोष बरी कर साबित किया। प्रश्न यह है कि पांच महिला जांच समिति सदस्यों, जिसमें डॉक्टर चित्रा प्रभात वर्तमान में पदस्थ प्रभारी प्राचार्य शासकीय कन्या महाविद्यालय कटनी जांच कमेटी की संयोजक एवं अन्य महिला सदस्य कमेटी में थे इनकी जांच प्रक्रिया से यह बया होता है कि इनके द्वारा किसी न किसी दबाव बस झूठी एवं असत्य जांच रिपोर्ट तैयार की गई जिसका खामियाजा डॉ.वर्मा को भुगतना पड़ा आखिर यह जांच कमेटी किस आधार पर इतने गंभीर आरोपों से जांच प्रतिवेदन तैयार करते हुए जिला प्रशासन एवं उच्च शिक्षा विभाग मध्य प्रदेश शासन को मुहैया कराया गया जिसके कारण डॉ.वर्मा के निजी जीवन के कैरियर को दांव में लगाया गया आखिर इसका दोषी कौन ❓ माननीय सिविल कोर्ट बरही ने डॉक्टर वर्मा को बेदाग बरी किया है ऐसे में क्या गंभीर रूप से दस्तावेज तैयार करने वाली जांच कमेटी ,जिनके कारण डॉक्टर वर्मा को जो सजा भुगतनी पड़ी ,जांच कमेटी ,"संयोजक " एवं सदस्यों को दोषी मानते हुए क्या उन पर अनुशासनिक कार्यवाही होगी यह सबसे बड़ा सवाल है ❓
भारत में संविधान और कानून सभी के लिए बराबर है ऐसे में कार्यवाही होना लाजमी है। आशा है कि संबंधित दोषियों पर जिला स्तरीय एवं विभागीय कार्यवाही जरूर होनी चाहिए ।
Manoj Singh Parihar ✍️ ✍️
8225008012
