सत्य की जीत, जगन्नाथ मंदिर में फर्जीवाड़ा करने वालों पर F.I.R. के निर्देश।

कटनी जंक्शन -- कटनी शहर के बीचों-बीच बेशकीमती जमीन पर बना जगदीश मंदिर का निर्माण 1864 में कुंज बिहारी दुबे ने करवाया था, यह मंदिर कटनी के लोगों के आस्था का बड़ा प्रतीक माना जाता है, जिस पर पिछले कुछ सालों से स्वघोषित अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, सचिव, कोषाध्यक्ष और सदस्यों द्वारा बड़ा झोल किया जा रहा है, प्रतिवर्ष इस मंदिर से रथयात्रा में करोड़ों का चंदा इकट्ठा होता है, जिस पर स्वघोषित कार्यकारिणी पैसे का ना कोई हिसाब रखती है और ना ही इसकी जानकारी किसी को देती है । यहां तक कि, वर्तमान स्वघोषित अध्यक्ष प्रमोद सरावगी, कोषाध्यक्ष विजय ठाकुर द्वारा लगातार 20 वर्ष से खुद को समिति का अध्यक्ष बताकर दस्तावेजों में पूर्व में मृत हो चुके पदाधिकारियों के हस्ताक्षर कर 32 साल का लेखा जोखा फर्म एंड सोसायटी कार्यालय जबलपुर में जमा कर दिया । लेकिन यह जानकारी इन भ्रष्टाचार करने वालों को नहीं पता थीं कि, जिस भगवान के नाम का पैसा वे खा रहे हैं, वही भगवान सब-कुछ देख रहा है, एक ना एक दिन इसका हिसाब होगा ।

इसी का हिसाब लेने के लिए जुझारू एड़. आशीष कछवाहा वगैरह को भगवान जगन्नाथ ने भेजा, आशीष कछवाहा वगैरह ने इस भ्रष्टाचार की पोल सूचना के अधिकार से निकाली और इस भ्रष्टाचार को उजागर किया, लेकिन इसके बाद भी थाने एवं एस.पी. आफिस में राजनैतिक दबाव के कारण रिपोर्ट दर्ज नहीं हुई और ना ही मामले की जांच हुई, लेकिन आवेदकों ने हार ना मानते हुए न्यायालय का दरवाजा खटखटाया ।

माननीय न्यायालय ने मामले की गंभीरता को दृष्टिगत रखते हुए, आज दिनांक को फर्जी अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, कोषाध्यक्ष समेत अन्य अभियुक्तों के विरुद्ध बीएनएस की धारा  318(4) {धोखा देकर बेईमानी से संपत्ति हासिल करना}, 338{फर्जी दस्तावेज तैयार करना}, 336(3) {जालसाजी और फर्जी दस्तावेज प्रस्तुत करना}, 340(2) {जालसाजी का दस्तावेज असली के रूप में पेश करना} और 314 {संपत्ति का बेईमानी से उपयोग एवं गबन} के तहत एफआईआर दर्ज करने थाना प्रभारी कोतवाली को आदेशित किया एवं मामले की अगली पेशी दिनांक -28/04/2025 को अभियुक्तगणों के विरूद्ध प्रतिवेदन प्रस्तुत करने के लिए निर्देशित किया ।

इस मामले में एफआईआर के निर्देश होने से जहां एक तरफ आवेदकगणों में खुशी की लहर छा गई, वहीं दूसरी तरफ भगवान जगन्नाथ के नाम पर लाखों का गबन करने वालों की स्थिति काटो तो खून नहीं की है ।

आशीष तिवारी ✍️ ✍️

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