खुलासा - जगदीश मंदिर ट्रस्ट नहीं, फर्जी कार्यकारिणी से चल रहा मंदिर, करोड़ो के चंदे का गोलमाल -आरोप ।

कटनी शहर के बीचों-बीच बेशकीमती जमीन पर  बना जगदीश मंदिर का निर्माण 1864 में कुंज बिहारी दुबे ने करवाया था, यह मंदिर कटनी के लोगों के आस्था का बड़ा प्रतीक माना जाता है, जिस पर पिछले कुछ सालों से स्वघोषित अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, सचिव, कोषाध्यक्ष और सदस्यों द्वारा बड़ा झोल किया जा रहा है, प्रतिवर्ष इस मंदिर से रथयात्रा में करोड़ों का चंदा इकट्ठा होता है, जिस पर स्वघोषित कार्यकारिणी पैसे का ना कोई हिसाब रखती है और ना ही इसकी जानकारी किसी को देती है, ऐसा आरोप एडवोकेट आशीष कछवाहा ने एमपी न्यूज़ जंक्शन के संवाददाता के सामने साक्ष्य पेश कर लगाए ।

उनकी एक आरटीआई के जवाब में कटनी एसडीएम ने बताया कि जगदीश मंदिर कोई ट्रस्ट नहीं है, दूसरी जानकारी में पता चलता है कि वर्ष 1992 में कृष्ण मुरारी पुरवार द्वारा जगदीश मंदिर का समिति के रूप में रजिस्ट्रेशन करवाया गया था, जिसमें मंदिर से जुड़े तमाम तथ्यों पर सार्वजनिक फैसला लिया जाता था, समय-समय पर समिति के अध्यक्ष बदले जाते रहे हैं, लेकिन वर्तमान कार्यकारिणी ने स्वयं को वर्ष 2004 से स्वयं को स्वघोषित कार्यकारिणी बता कर 32 साल के आय व्यय का लेखा-जोखा फर्म एंड सोसायटी कार्यालय में पेश किया, जिस पर तीन मृतकों के फर्जी हस्ताक्षर भी प्रस्तुत किए गए हैं। साथ ही जगदीश मंदिर के बगल की जमीन पर निस्तारित जमीन पर बिना किसी अनुमति के बाउंड्री वाल बनाकर जगन्नाथ रसोई के नाम पर चंदा वसूली भी की गई और चंदे की रकम को अध्यक्ष, कोषाध्यक्ष, सचिव और सदस्यों द्वारा गबन कर लिया गया है।

जगन्नाथ मंदिर समिति के प्रबंधक जिला कलेक्टर होने के बाद भी यह खेल लगातार जारी है, जिसकी साक्ष्य के साथ शिकायत करने पर भी कलेक्टर और जिले के एस पी द्वारा गंभीरता पूर्वक कोई कार्रवाई नहीं की गई है। शिकायतकर्ता का आवेदन 2 माह 20 दिन से भी अधिक अवधि से पेंडिंग हैं।

संजीव सूरी समिति के अध्यक्ष रह चुके हैं -

नगर निगम के महापौर श्रीमती प्रीति सूरी के पति संजीव सूरी भी इस समिति के अध्यक्ष रह चुके हैं, साथ ही शहर के प्रतिष्ठित व्यापारी स्वर्गीय विश्वनाथ गुप्ता भी इस समिति के अध्यक्ष रह चुके हैं  मुरली मनोहर गुप्ता का भी अध्यक्ष के रूप में मंदिर में सेवा दे चुके हैं।

आशीष ने बताया कि, वर्तमान फर्जी कार्यकारिणी के सदस्यों ने आडिट रिपोर्ट के साथ एक बैठक रजिस्टर भी प्रस्तुत किया है, जिसमें कृष्ण मुरारी पुरवार समेत अन्य लोगों के फर्जी हस्ताक्षर भी किए हैं, जिसकी प्रमाणिकता उनके पुराने हस्ताक्षर से की जा सकती है । साथ ही यह हस्ताक्षर उनकी मृत्यु होने के बाद की दिनांक पर भी किए जाकर आडिट रिपोर्ट पेश की गई है, और आडिट रिपोर्ट में लेन-देन ना के बराबर दिखाया गया है। साथ ही आडिट रिपोर्ट में लाखों की पूजन सामग्री का भी जिक्र है ।

1992 में रजिस्टर्ड कार्यकारिणी और उनके वास्तविक हस्ताक्षर

2024 में आडिट रिपोर्ट में मृतक के हस्ताक्षर जो रजिस्टर्ड कार्यकारिणी के हस्ताक्षर से भिन्न हैं।
वर्ष 2014 में तत्कालीन अध्यक्ष विश्वनाथ गुप्ता को कलेक्टर द्वारा जारी नोटिस
30/04/2024 की आडिट रिपोर्ट में तब से अब तक स्वयं को 2004 से अध्यक्ष बताते प्रमोद सरावगी, सचिव विजय प्रताप सिंह उर्फ विजय ठाकुर व अन्य फर्जी लोगों की सूची ।
मृत्यु प्रमाण पत्र 

मृत्यु प्रमाण पत्र 

कार्यवाही ना होने का कारण ?

वर्तमान मंदिर कार्यकारिणी का फर्जीवाड़ा किए जाने वाले लोग कटनी के सत्ता पक्ष में गहरी पकड़ रखते हैं, यही कारण है कि, पूरा मामला आईने की तरह साफ होने पर और चंदे का गबन होने पर भी जिला प्रशासन द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की जा रही है । हालांकि कटनी के जागरुक नागरिक आशीष कछवाहा और अन्य ने इनके खिलाफ 420 के आरोप लगाए जाने के संबंध में न्यायालय में परिवाद प्रस्तुत किया है, जिसकी सुनवाई 21 फरवरी को लंबित है।

अब आगे क्या ??

एडवोकेट आशीष कछवाहा और समाजसेवी प्रदीप पाठक का कहना है कि, जगदीश मंदिर समिति के प्रबंधक होने के नाते कटनी कलेक्टर को वर्तमान समिति की निष्पक्ष जांच करवाकर मंदिर हित में फर्जी समिति को भंग कर दिया जाना चाहिए और स्वयं की निगरानी में शहर के प्रतिष्ठित लोगों को जगदीश मंदिर समिति का सदस्य बनाना चाहिए, नहीं तो एक दिन जगदीश मंदिर फर्जीवाड़ा करके विक्रय भी कर दिया जाएगा ।

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