नगर निगम में विकास के लिए राजस्व संकट, फिर भी कट रहीं अवैध कालोनियां, एम एस डब्ल्यू भी गुलजार !

कटनी जंक्शन --नगर निगम इन दिनों कंगाली की कगार पर पहुंच गया है। हालात यह आ बने हैं कि कर्मचारियों को हर माह समय से वेतन भुगतान भी नहीं हो पा रहा है, वेतन के अलावा बिजली कंपनी, ठेकेदारों के काम सड़क, नाली, पेवरब्लॉक का भुगतान नहीं हो पा रहा है, जिससे विकास कार्य पिछड़ रहे हैं। जानकारी के अनुसार ठेकेदारों का 5 करोड़ रुपए से अधिक का भुगतान लंबित है। बजट व फंड नहीं होने के कारण यह स्थिति आ बनी है। कटनी नदी पर चल रहा काम भी भुगतान ना होने से मंथर गति से चल रहा है,  नगर निगम के कुछ अधिकारी-कर्मचारियों का कहना है कि नगर निगम में मूलभूत सुविधाओं पर ध्यान न देकर फिजूलखर्ची पर ज्यादा फोकस हो रहा है। इसी कारण यह स्थिति निर्मित हुई है ।

टेक्स वसूली में फिसड्डी 

नगर निगम कटनी को हर साल टेक्स वसूली करनी पड़ती है, निगम की मुख्य आय टेक्स से ही है, जिस पर अभी तक लगभग 14-15% ही टेक्स की वसूली हो पाई है, जिससे शहर के विकास कार्य रुक रहे हैं, टेक्स वसूली पर निगमायुक्त लगातार शहर के लोगों से टेक्स भरने की अपील कर रहे हैं लेकिन अपील का कोई विशेष असर दिखाई नहीं दे रहा है।

एम एस डब्ल्यू को हर माह लाखों का भुगतान 

नगर निगम हर माह एम एस डब्ल्यू को 50-55 लाख रुपये भुगतान करता है, जबकि हर दूसरे दिन एम एस डब्ल्यू के काम के तरीके, कचरे के वजन और कचरे के निष्पादन पर सवाल उठते रहे हैं, प्रतिदिन एम एस डब्ल्यू द्वारा लगभग 100 टन (100000 किलो) कचरा उठाता है, लगभग 2 लाख की आबादी वाले शहरी क्षेत्र में 1 लाख किलो कचरा मिलना, अपने आप में सवालिया निशान खड़ा करता है। खैर नगर निगम में भ्रष्टाचार होना कोई नई बात नहीं है, लेकिन यदि स्थिति परिस्थिति पर काबू नहीं किया जाता तो, निश्चित ही आगे चलकर गंभीर वित्तीय संकट का सामना करना पड़ेगा, जिसका भुगतान, नगर की जनता को भुगतना पड़ सकता है।

आर्थिक संकट फिर भी कट रहीं अवैध कालोनियां 

नगर निगम लगातार आर्थिक संकट से गुजर रहा है, वहीं दूसरी ओर शहर के चारों ओर नगरीय सीमा में अवैध कालोनियों की प्लानिंग जारी है, प्रतिदिन रजिस्ट्रेशन और अवैध निर्माण, प्लाटिंग हो रही है, जिस पर नगर निगम के वार्ड दरोगा, समेत पूरा नगर निगम मूनक दर्शक बना सहयोग कर रहा है। जिससे नगर निगम को करोड़ो के राजस्व का नुक़सान हो रहा है चर्चा यह भी है कि, जब भी कही अवैध प्लाटिंग होती है तो कार्यवाही करने वाले संबंधितों के पास मुंह बंद रखने की रकम पहूंच जाती है, प्रथम दृष्टया यह बात सही भी लगती है, नहीं तो नगर निगम सीमा में इतनी अवैध कालोनियों का बन पाना संभव नहीं था, जिस पर आज भी लगाम नहीं लगाई जा रही है।



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