कटनी जंक्शन -- जिले की जनपद कटनी अंतर्गत ग्राम पंचायत हीरापुर कौड़िया में रोजगार सहायक आशीष सोनी मृतक व्यक्तियों को भी दे रहा मनरेगा में रोजगार। हीरापुर कौड़िया पंचायत में चल रहा अनोखा घोटाला सामने आया है । मध्य प्रदेश सरकार प्रदेश में ग्रामीण विकास के लिए कई करोड़ों रुपए खर्च कर शुरू की गई मनरेगा योजना का उद्देश्य जरूरतमंद लोगों को रोजगार प्रदान करना है लेकिन कटनी जिले की हीरापुर कौड़िया ग्राम पंचायत में यह योजना घोटाले बाज योजना बन चुकी है। हीरापुर कौड़िया में रोजगार सहायक आशीष सोनी के रहते एक बड़े घोटाले का माध्यम बन गई है इस पंचायत में मृत व्यक्तियों को भी मनरेगा के तहत फर्जी हाजिरी भरकर काम आवंटित किया जा रहा है । और आशीष सोनी के कहने पर मरे हुए व्यक्ति भी जिंदा होकर मजदूरी कर रहे हैं। रोजगार सहायक आशीष सोनी मृतकों की मजदूरी निकालकर घूसखोरी अधिकारियों के साथ मिलकर राशि का आपसी बंदरबांट किया जा रहा है। यह कोई धारावाहिक या किसी सीरियल की कहानी नहीं है। बल्कि यह सनसनीखेज खुलासा ग्रामीणों और सूत्रों के हवाले से निकलकर सामने आया है। हीरापुर कौड़िया ग्राम पंचायत में न केवल जीवित व्यक्तियों को बल्कि उन व्यक्तियों को भी मनरेगा के तहत काम दिया गया है जो काफी समय से इस दुनिया में नहीं रहे लेकिन रोजगार सहायक आशीष सोनी की ऐसी विशाल महिमा की मरे हुए लोगों को जिंदा कर मजदूरी करने को मजबूर कर रहा है और जिले में बैठे भ्रष्ट निकम्मे अधिकारी मिलजुलकर मलाई चाट रहे हैं ।
संबंधित अधिकारियों के द्वारा जांच करना तो दूर की बात बल्कि शिकायतों को चंद रूपया लेकर दबा दिया जाता है । ग्रामीणों के अनुसार पंचायत का रोजगार सहायक आशीष सोनी सहित जूनियर इंजीनियर और असिस्टेंट इंजीनियर की मिली भगत के चलते इस घोटाले को अंजाम दिया जा रहा हैं। मृत व्यक्तियों के नाम पर फर्जी मस्टर रोल तैयार किया जाता है जिनमें उनके काम के दिन और मजदूरी का ब्योरा दर्ज किया जाता है इसके बाद यह राशि संबंधित बैंक खातों से निकालकर आपस में बंदरबांट कर ली जाती है जानकारी के अनुसार पंचायत में मृतकों के नाम पर फर्जी दस्तावेज तैयार किए जाते हैं इन दस्तावेजों में मृतक व्यक्तियों को मनरेगा कार्यों में शामिल दिखाया जाता है। जैसे कि सड़क निर्माण कार्य तालाब गहरी करण या साफ सफाई अथवा अन्य ग्रामीण विकास कार्य इसके बाद इनके नाम पर मजदूरी की राशि निकाली जाती है। जो कथित तौर पर पंचायत के अधिकारियों और कर्मचारियों के बीच बांट दी जाती है जिससे यह प्रक्रिया इतनी सुनियोजित ढंग से तैयार की गई है कि बिना गहन जांच के इस घोटाले का पता लगाना मुमकिन ही नहीं बल्कि नामुमकिन है हालांकि यह मामला सिर्फ चर्चा में ही नहीं बल्कि इसको लेकर ठोस सबूत भी हैं जिन्हें जल्द ही अन्य सोशल मीडिया अथवा उच्च अधिकारियों के सामने लाए जाने की बात कही जा रही है। सूत्रों का दावा है कि मृतकों के नाम,उनके कथित कार्यों की अवधि मजदूरी की राशि और संबंधित बैंक खातों से निकासी का पूरा ब्यौरा जल्द से जल्द सार्वजनिक किया जाएगा यह खुलासा न केवल स्थानिक प्रशासन के लिए बल्कि मनरेगा योजना की पारदर्शिता पर भी सवाल खड़े करता है इस मामले में अभी तक स्थानीय प्रशासन की तरफ से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया सामने नहीं आयी है। ग्रामीण वासियों का कहना है कि इस प्रकार के घोटाले अभी से ही नहीं अपितु विगत लंबे अर्से से चल रहा है लेकिन अधिकारियों की मिली भगत के कारण कोई ठोस कार्यवाही नहीं हो पाना यह प्रतीत होता है कि कहीं ना कहीं रोजगार सहायक आशीष सोनी का जिले में बैठे उच्च अधिकारियों के साथ बड़ी सांठ गांठ होना प्रतीत होता है। हीरापुर कौड़िया के स्थानीय लोगों का यह भी कहना है कि पंचायत में हो रहे इस कथित घोटाले में मनरेगा योजना की विश्वसनीयता पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं यह मामला न केवल स्थानीय स्तर पर बल्कि राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर भी चर्चा का विषय बन चुका है। ग्रामीणों का कहना है कि सक्षम सबूत होने के बावजूद भी यह घोटाला न सिर्फ दोषी अधिकारियों के लिए बल्कि पूरे भ्रष्ट सिस्टम के लिए एक बड़ा कलंक है जिसे धो पाना संभव नहीं बल्कि असंभव है।
मनोज सिंह परिहार की रिपोर्ट
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