कटनी जंक्शन -- शहर, शहर का विकास, रोज बनती इमारतें, रेल्वे लाईन, सड़क, मकान, ओवर ब्रिज जैसे तमाम निर्माण करने वाले मजदूर आज भी उपेक्षित है, प्रशासन द्वारा इन मजदूरों को कटनी में खड़े होने तक के लिए कोई जगह मुहैया नहीं कराई गई है, ये मजदूर, निर्माण तो करते ही हैं साथ ही शासन प्रशासन की उपेक्षा का शिकार भी होते हैं, इतनी सरकारें आईं-गई लेकिन आज भी मजदूर सालों पहले सिस्टम से प्रतिदिन बिक रहा है, इतने बड़े शहर में ना ही इनके पास गर्मी, ठंड, बारिश में बचाव के लिए छत है, ना ही इनका बीमा, और तो और 90% निर्माण मजदूरों के पास मजदूर संनिर्माण कार्ड तक की सुविधा नहीं है, प्रतिदिन सैकड़ों मजदूर इसी जगह से काम में जाता आता है लेकिन इनकी सुध किसी जनप्रतिनिधि अथवा प्रशासन के अधिकारी कर्मचारी को नहीं है।
आश्चर्यजनक बात यह भी है कि, जनप्रतिनिधि हो या शासन प्रशासन, सभी के रिहायशी मकानों, आफिस, दुकानों और अन्य निर्माण भी इन्ही मजदूरों ने किए हैं ।
नहीं है सुरक्षा का कोई इंतजाम --
यह मजदूर प्रतिदिन प्रथम मंजिल, द्वितीय मंजिल, तीसरी मंजिल तक में बिना किसी सुरक्षा उपकरण के काम करता है, रंगाई पुताई से लेकर निर्माण और छपाई का काम भी इन्ही के द्वारा किया जाता है, लेकिन प्रशासन की अनदेखी के कारण एक भी मजदूर शासन की गाइड लाइन के हिसाब से काम नहीं करता, इस बीच यदि कोई दुर्घटना घट जाती है तो मजदूरों सरकारी अस्पताल में भर्ती करके जवाबदार भाग जाते हैं।
क्या है आवश्यकता --
कटनी के निर्माण मजदूरों के संघ बनाने की आवश्यकता है, जिसमें संघ के माध्यम से ही निर्माण मजदूर कहीं काम पर जाएं, एक निश्चित राशि मजदूर संघ द्वारा तय हो, उससे कम और ज्यादा में मजदूर काम पर नहीं जाए, मजदूरों की सुरक्षा की जवाबदेही भी तय हो, इसके साथ ही रजिस्टर्ड मजदूर के काम पर जाने से शहरवासियों को भी सुरक्षा मिलेगी । खराब मौसम के लिए मजदूरों के मिलने वाले स्थान पर कम से कम टीन शेड, प्राथमिक उपचार, पीने के पानी और बैठने के लिए पर्याप्त व्यवस्था हो । शासन द्वारा निर्माण मजदूरों को दिया जाने वाले लाभ को भी प्रत्येक मजदूरों तक पहुचाने की आवश्यकता है।
आशीष तिवारी ✍️ ✍️
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