कटनी जंक्शन -- जिला पंचायत सदस्यों का चुनाव हुए लगभग 3 साल हो रहा है, जिले में 14 वार्डों के चुनाव में 14 सदस्य चुनकर जिला पंचायत पहुंचे, नियमानुसार इन्हीं सदस्यों में जिले के समुचित विकास के लिए अध्यक्ष, उपाध्यक्ष समेत अन्य कार्यकारिणी गठित कर जिला पंचायत के कार्य को आगे बढ़ाया जा रहा था, लेकिन पिछले कुछ समय से जिला पंचायत में कुछ भी सही से होते नहीं दिख रहा है । अंदर से उठ रहा धुआं यह दिखा रहा है कि, कहीं आग तो लगी है, जिससे पक्ष विपक्ष के सभी 14 सदस्य नाराज हैं।
कल सोमवार को अचानक ही सभी 14 जिला सदस्य, अध्यक्ष के नेतृत्व में सामने आए और जिला सीईओ शिशिर गेमावत की कार्यशैली के ऊपर नाराजगी जाहिर करते हुए, राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, राज्यपाल, मुख्यमंत्री और अन्य के नाम पर शिकायत पत्र लिखकर चेतावनी दी कि, यदि एक माह के अंदर उनकी शिकायत को गंभीरता से नहीं लिया जाता तो सभी 14 सदस्य सामूहिक इस्तीफा दे देंगे ।
क्या है मामला??
ज्ञापन के माध्यम से जिला पंचायत अध्यक्ष सुनीता रमेश मेहरा ने कहा की मैं अनूसूचित जाति से हू। मेरे द्वारा बार – बार ऐजेन्डा जारी करने के बाद भी जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी द्वारा बैठक की सूचना जारी नही की जाती। पंचायत राज अधिनियम 1993 के तहत अगर किसी कारण अध्यक्ष बैठक की सूचना जारी नही करता तो मुख्य कार्यपालन अधिकारी स्वयं ही उस बैठक की सूचना जारी कर सकता है। लेकिन कटनी जिला पंचायत में ऐसा नहीं होता।
जिला पंचायत अध्यक्ष ने ज्ञापन के माध्यम से कहा कि मेरे कम पढ़ी लिखी होने के कारण आज तक मुझे निज सहायक उपलब्ध नही कराया गया। मेरे शासकीय आवास का पैसा तत्कालीन लेख अधिकारी अशुतोष खरे के द्वारा आहरित कर लिया गया, मगर मेरे शासकीय आवास की साज-सज्जा की कोई भी वस्तु आज भी उपलब्ध नही है। मेरे आवास के लिए लिया गया सामान मुख्य कार्यपालन अधिकरी के बंगले में रखे है। जिला पंचायत मुख्य कार्यपालन अधिकारी पंचायत राज अधिनियम को नही मानते। जिला पंचायत के सदस्यो द्वारा पूर्व मे जो भी सामान्य सभा का निर्णय पारित किया गया उनका क्रियान्वयन नही किया गया। जिला पंचायत सीईओ के माध्यम से जिला पंचायत सदस्यों के द्वारा जो पत्राचार किया जाता है उसका पालन आज तक नही किया गया। सीईओ सदस्यो से न कभी मिलते है और न ही दूरभाष के माध्यम से बात करते है। जिला पंचायत अध्यक्ष सहित सदस्यों ने कहा कि यदि एक महिने के अंदर ज्ञापन को लेकर कोई गंभीरता नहीं दिखाई जाती और कार्यवाही नहीं होती तो अध्यक्ष एवं सभी सदस्य सामूहिक रूप से इस्तीफा देने के लिए बाध्य होगे।
बड़ा सवाल --
यदि चुने हुए जनप्रतिनिधियों की बात को एक अधिकारी द्वारा इस तरह दरकिनार किया जाता है तो फिर जनप्रतिनिधियों के माध्यम से आम जनमानस की आवाज का क्या ??
यदि जनप्रतिनिधि, शिकायत सुनने और निराकरण करवाने की जगह स्वयं शिकायत करने की स्थिति में आ जाए तो जिले में चलने वाली व्यवस्था कैसे चलेगी ??
आशीष तिवारी की कलम से ...