10 साल पहले अगवा हुआ था 3 साल का सूर्यांश, पिता ने नाप लिया पूरा देश, नहीं कोई सुराग

ग्वालियर जंक्शन --मध्य प्रदेश के ग्वालियर जिले का एक पिता बीते 10 सालों से अपने अपहरण हुए 3 साल के बच्चे की तलाश में भटक रहा है, ना जाने कितने मंदिर-आश्रम, शहर प्रदेश खंगाल लिए, लेकिन आज तक कुछ पता नहीं चला. लाचार पिता की हिम्मत नहीं टूटी, वह अब भी अपने बेटे की खोज में लगा हुआ है. उसने बेटे के बारे में जानकारी देने वाले को भी 10 लाख का इनाम देने का वादा किया है ।

ग्वालियर में मासूम शिवाय को पुलिस ने अपहरण के चंद घंटों में खोज लिया, जिसके बाद उन तमाम परिवारों को आशा की किरण दिखायी दे रही है. जिनके बच्चे लंबे समय से लापता हैं, लेकिन एक परिवार ऐसा भी है, जो 10 साल पहले अगवा हुए बेटे को ढूंढने के लिए सबकुछ लुटा बैठा है. ना जाने कितने ही मंदिर और आश्रम खंगाले. देश का हर कोना छान मारा, लेकिन बच्चे का आज तक नामोनिशान नहीं मिला. लाचार पिता बच्चे का पता बताने वाले को 10 लाख रुपये का इनाम तक देने को तैयार है. अब मुख्यमंत्री से मदद की गुहार लगा रहा है.

क्या है पूरा मामला?

करीब 10 साल पहले ग्वालियर के पनिहार में रहने वाले जयंत सोलंकी अपने परिवार के साथ ग्वालियर के पास बने फार्म हाउस पर थे. उस समय फार्म हाउस पर उनके पिता कल्याण सिंह, मां उर्मिला देवी, उनकी पत्नी लक्ष्मी और 3 साल का मासूम बेटा सूर्यांश मौजूद थे. 7 सितंबर 2015, दिन सोमवार था, सुबह करीब 8 बजे जयंत की मां और पत्नी अंदर काम कर रहीं थी, जबकि, फार्म हाउस गेट पर बेटा सूर्यांश खेल रहा था. पास में ही जयंत के पिता भी बैठे हुए थे. इसी बीच सबका ध्यान हटा तो मासूम सूर्यांश कहीं नजर नहीं आया.

जब आवाज लगाने पर भी वह कहीं दिखायी नहीं दिया तो सब घबरा गए. आसपास तलाश की तो पता चला कि एक कार में आए कुछ बदमाश बच्चे को साथ ले गए हैं. परिवार को समझ आ गया कि मासूम बेटे का अपहरण हो गया. इसके बाद सभी पनिहार पुलिस के पास पहुंचे और अपहरण की जानकारी दी. तो पुलिस ने भी तुरंत तलाश शुरू की, लेकिन सब बे नतीजा निकला, बच्चे और अपहरणकर्ताओं का कोई अता पता नहीं चल सका.

देश के हर शहर में खोज, 500 मंदिर में की तलाश

पुलिस की जांच तो जैसे ठंडी पड़ती चली गई, लेकिन पिता का दिल घर बैठे इंतजार की गवाही नहीं दे रहा था. पेशे से ढाबा संचालक जयंत सोलंकी ने अपने बेटे को ढूंढने में धरती पाताल एक कर दिए. पैसा पानी की तरह बहाया. जयंत सोलंकी ने बताया की, "इन 10 वर्षों में उन्होंने देश के हर शहर में बेटे को ढूंढा, तिरुपति बालाजी, ओंकारेश्वर, महाकाल, मथुरा वृंदावन, हरिद्वार से लेकर वैष्णोदेवी तक हर बड़े मंदिर में उसकी तलाश की.

अब तक 500 से ज्यादा मंदिर में उसे खोजा, साधु-संतों के आश्रम गए. उन्हें तस्वीर दिखा कर पूछताछ की. 10 ज्यादा प्रदेशों में तलाश की, क्योंकि मन में ख्याल था कि हो सकता है, कहीं उसे लावारिस छोड़ दिया गया हो, हाल ही में महाकुंभ में प्रयागराज भी गए और 7 दिनों तक उसकी तलाश की, लेकिन हर जगह सिर्फ निराशा ही हाथ लगी.

बेटे की तलाश में लूटा दी पूंजी

बेटे के लिए कुछ भी कर गुजरने की हिम्मत रखने वाले बेबस पिता ने पैसे खर्च करने में भी कोर कसर नहीं छोड़ी. आमतौर पर अपहरण फिरौती के लिए होते हैं, लेकिन सूर्यांश के केस में कभी फिरौती के लिए कोई फोन ही नहीं आया. बेटे के तलाश में जयंत मंदिर-मंदिर भटके, ढोंगी और पाखंडी बाबाओं के चंगुल में भी लुटे. उन्हें बच्चे के मिलने की उम्मीद में पूजापाठ के नाम पर भी कई बाबाओं ने ठगा.

10 साल की खोज में जयंत सोलंकी 25 से 30 लाख रुपये खर्च कर चुके हैं. जब बच्चे का अपहरण हुआ, तो पता बताने वाले को उन्होंने 5 लाख रुपये इनाम देने की भी घोषणा की थी. अखबारों में इश्तेहार दिए. बाद में इनाम की इस रकम को बढ़ाकर 10 लाख रुपये कर दिया, लेकिन आज भी सूर्यांश की कोई खबर नहीं है.

शिवाय की रिकवरी से फिर जगी आस

जयंत सोलंकी कहते हैं कि "कुछ दिन पहले ग्वालियर के 6 साल के मासूम बच्चे शिवाय गुप्ता के अपहरण के बारे में पता चला था, पुलिस ने भी उसे शाम तक खोज लिया, फिर मेरे बेटे को आज तक क्यों नहीं ढूंढ पाए. अब प्रदेश के मुख्यमंत्री से उम्मीद है जिस तरह उन्होंने शिवाय को ढूंढने के लिए काम किया, अगर वे चाहेंगे तो मेरा बेटा भी जल्द घर आ जाएगा."

इतने साल बाद कैसे पहचानेंगे!'

'सूर्यांश को अपहरण हुए 10 साल हो चुके हैं, आज वह क़रीब 13 साल का होगा. ऐसे में जब हमने उसके पिता जयंत सोलंकी से सवाल किया कि इतने समय के बाद वह उसे कैसे पहचानेंगे, तो इस पर उन्होंने बताया कि," सूर्यांश के माथे पर प्राकृतिक तिलक का निशान है. इसके साथ ही उसकी शक्ल मेरे छोटे बेटे से मिलती है. जब वह सामने आयेगा तो देखते ही पहचान लूंगा."

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