बिलहरी का तालाब सरकारी उपेक्षा का शिकार, खतरे में अस्तित्व !

कटनी जंक्शन -- कटनी जिले में वैसे तो कई तालाब बने हुए हैं, लेकिन सभी तालाबों में बिलहरी का तालाब अपनी अलग पहचान रखता है। इस तालाब का निर्माण कल्चुरी कालीन राजा लक्ष्मण दास ने लगभग 945 ईस्वी में करवाया था, यह तालाब अपनी पुरातात्विक धरोहर और विशालता के लिए विख्यात है, अब इस ऐतिहासिक तालाब का भी अस्तित्व धीरे-धीरे खतरे में पड़ता नजर आ रहा है, तालाब के चारों तरफ उथलापन आसानी से देखा जा सकता है, कभी ना सूखने वाला तालाब अब किनारों पर सूखने लगा है, तालाब के किनारे प्लास्टिक और कचरा दिखाई देने लगा है, जिस कारण अब स्थानीय लोगों के मन में प्रश्न उठाना शुरू हो गया है कि, क्या अब यह तालाब भी जिले के अन्य तालाबों जैसे सूख जाएगा ?

स्थानीय नागरिक चौरसिया जी बताते है कि, कभी यह तालाब पूरे बिलहरी के लिए जीवन शैली का हिस्सा हुआ करता था, पूरा बिलहरी गांव इस तालाब पर ही नहाने, कपड़े धुलने, पशुओं को पानी पिलाने, नहलाने के लिए हर तरह से निर्भर था, लेकिन समय के थपेड़ो और घर-घर नल लग जाने से और जानवरों का पालन कम होने के कारण तालाब की उपयोगिता कम हो गई है, इसीलिए स्थानीय लोग तालाब के जीर्णोद्धार पर कोई बात नहीं करते हैं, हालांकि अभी कुछ दिन पूर्व कलेक्टर ने तालाब के एक ओर घाट पर कुछ कार्य कराया था, लेकिन वह काम पर्याप्त नहीं है।

बनाई जा सकती है वाटर बोट सफारी

बिलहरी पुरातात्विक धरोहर होने के कारण यहां आसपास के गांव शहर से लोग घूमने आते हैं, इसीलिए यहां इस बड़े तालाब को संजो कर वाटर बोट सफारी बनाई जा सकती है, जिससे आने वाले लोगों का मनोरंजन भी होगा और स्थानीय लोगों को रोजगार भी मिलेगा ।

जिले की अधिकांश धरोहर नष्ट होने की कगार पर

बिलहरी तालाब समेत जिले में अधिकांश पुरातात्विक धरोहर हैं, जिन्हें समय रहते नहीं संजोया गया और आज भी वे उपेक्षा का शिकार है और धीरे-धीरे नष्ट हो रही है जिन्हें संजोया जाना अति आवश्यक है ।





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