प्रशासन अक्सर परीक्षा शुरू होने के एक दो दिन पहले संबंधित प्रतिबंधात्मक आदेश जारी करता है। हालांकि, प्रतिबंधात्मक आदेशों की जरूरत अब सबसे अधिक है, जब परीक्षा के लिए बेहद कम समय बचा है। विशेषज्ञों की मानें तो कमजोर माने जाने वाले विषयों की इन दिनों पढ़ाई बेहद महत्वपूर्ण होती है। इस समय विद्यार्थी अभ्यास करते समय कमजोर रह गए विषयों को काफी एकाग्रता से पढ़ता है, लेकिन शहर में बज रहे लाउडस्पीकरों की तीव्रता पर रोक नहीं होने से एकाग्रता भंग हो रही है।
परीक्षा के दृष्टिकोण से यह आठ दिन बेहद महत्वपूर्ण हैं। इन दिनों में विद्यार्थी अपने विषयों को और मजबूत कर सकता है। परीक्षा के दौरान सिर्फ उसे आगामी विषय पर ध्यान देना होगा, लेकिन परीक्षा के दो दिन पहले तक विद्यार्थी दूसरे विषयों के महत्वपूर्ण प्रश्नों की तैयारी कर सकता है। यह तैयारी उसे परीक्षा के दौरान होने वाले तनाव से बचाती है। पूरे साल भर की पढ़ाई का सार इन एक सप्ताह के समय में पढ़ा जा सकता है। इन दिनों घर एवं आसपास ऐसा माहौल होना चाहिए, जिससे विद्यार्थी मानसिक तनाव से बचें।
निगम को इस पर भी देना होगा ध्यान
परीक्षा के दौरान विद्यार्थियों को कई बार अपने नियमित रास्तों से गुजरने में भी व्यवधान होता है। कुछ लोग शहर के गली मोहल्लों में पंडाल तानकर रास्ता रोक देते हैं। इससे विद्यार्थी को रास्ता बदलकर अथवा लंबी दूरी से परीक्षा केंद्र तक पहुंचना पड़ता है। देरी की स्थिति में विद्यार्थी तनाव ग्रस्त हो जाता है। इन पंडालों को हटाने के लिए निगम प्रशासन को परीक्षा के दौरान सख्ती बरतनी होगी।
कब जारी होगा आदेश ??
डीजे, साउंड सिस्टम को अधिक तेज बजाने पर रोक लगाने के लिए प्रतिबंधक आदेश कलेक्टर द्वारा जिले भर में लगाए जाते हैं, देखना यह है कि क्या मुखिया इस कान फोड़ू डीजे साउंड पर प्रतिबंध लगाते भी है या नहीं??