दिल्ली में 1993 में विधानसभा का गठन हुआ था और पहली बार चुनाव हुए थे. 1993 में बीजेपी ने प्रचंड बहुमत हासिल किया था और 49 सीटें जीती थीं. कांग्रेस को सिर्फ 14 सीटें मिली थीं. दिल्ली में कुल 70 सीटों पर चुनाव होते हैं. हालांकि, बीजेपी को पांच कार्यकाल के कार्यकाल में अपने तीन मुख्यमंत्री बदलने पड़े थे ।
दिल्ली में विधानसभा चुनाव की गिनती चालू है । ये आठवां चुनाव है. बीजेपी सिर्फ एक बार ही दिल्ली की गद्दी संभाल सकी. उसके बाद लगातार तीन बार कांग्रेस की सत्ता रही और अब पिछले तीन बार से आम आदमी पार्टी की सरकार है. बीजेपी की कोशिश है कि 32 साल बाद फिर जीत का स्वाद चखा जाए तो कांग्रेस का प्रयास है कि आम आदमी पार्टी से 12 साल पुराना बदला लिया जाए और ठीक वैसे ही सत्ता छीनी जाए. 12 साल अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में AAP ने कांग्रेस को दिल्ली की सत्ता से बेदखल किया था।
दिल्ली में 1993 में विधानसभा का गठन हुआ था और पहली बार चुनाव हुए थे. 1993 में बीजेपी ने प्रचंड बहुमत हासिल किया था और 49 सीटें जीती थीं. कांग्रेस को सिर्फ 14 सीटें मिली थीं. दिल्ली में कुल 70 सीटों पर चुनाव होते हैं. हालांकि, बीजेपी को पांच कार्यकाल के कार्यकाल में अपने तीन मुख्यमंत्री बदलने पड़े थे. उसके बाद से बीजेपी एक अरसे से जीत की तलाश में है ।
1998 में कांग्रेस ने शीला दीक्षित के नेतृत्व में सरकार बनाई. उसके बाद कांग्रेस ने लगातार दो और चुनाव 2003 और 2008 में भी जीत हासिल की. शीला लगातार तीन बार दिल्ली की सीएम बनीं. लेकिन 2013 में चुनाव हुए तो अरविंद केजरीवाल की पार्टी AAP ने हर किसी को चौंका दिया. AAP ने दिल्ली की सत्ता में 15 साल से काबिज कांग्रेस सरकार को उखाड़ फेंका. पहली बार चुनाव में उतरी AAP को 28 सीटें मिलीं. जबकि कांग्रेस सिर्फ 8 सीटों पर सिमटकर रह गई. बीजेपी ने सबसे ज्यादा 32 सीटें जीतीं. जेडीयू और शिअद को 1-1 सीटें मिली । बीजेपी इस बार भी दिल्ली की सत्ता का स्वाद चखते चखते रह गई।
रुझानों में तो बीजेपी ने इस बार सरकार बना ली, हालाकी ये रुझान हैं और फाइनल नतीजे अभी आने बांकी हैं, देखना ये है कि अब यदि भाजपा सरकार बनाती है तो मुख्यमंत्री किसे बनाएगी और तब भी क्या अरविंद केजरीवाल की मुफ्त चीजें चलती रहेंगी ? स्कूलों की स्थिति कैसी रहेगी? बसों में महिलाएं मुफ्त यात्रा कर पाएंगी? और यमुना सफाई भी अगले चुनाव तक मुद्दा रहता है या नहीं??