तो क्या सरकार के विधायक की ही नहीं सुन रही पुलिस ? जन सुनवाई है तो जनता दरबार की जरूरत क्यों??

विधायक निवास पर जनता दरबार के क्या मायने ??

कटनी में एडमिनिस्ट्रेशन फेल होने के संकेत तो नहीं??

कटनी एक निराला और व्यापारिक शहर, जो अपने छोटे आकर, बड़े व्यापार और शांति प्रिय लोगों की पहचान रखता है, इस जिले में कहीं ना कहीं प्रदेश का हर अधिकारी कर्मचारी आने की चाह रखता है। यहां पर काम ना करने वालों से कोई शिकवा शिकायत नहीं, बंदरबांट पर कभी कोई आरोप प्रत्यारोप नहीं, सड़क टूटी हो या नाली, सबको शिकायत तब तक ही होती है, जब तक जनता वहां से निकल नहीं जाती, और जैसे ही यहां के नागरिक समस्या से पार हुए तो फिर उस समस्या का भूलकर अपने काम और दैनिक दिनचर्या पर निकल जाते हैं, गांव-गांव अवैध शराब बिक रही है, बेचने वाले बेच रहे हैं पीने वाले पी रहे हैं, वसूली वाले वसूली पर लगे हैं, सब कुछ पहले जैसा शांतिपूर्ण चल रहा था । लेकिन अचानक एक दिन क्रिकेट के सट्टे की रकम को लेकर एक विवाद ने शहर की फिजा बिगाड़ दी, रकम बड़ी थी तो गुंडे भी आए, मारपीट हुई, चोट भी पहुंची, जिससे सिंधी समाज के लोग एकत्रित होकर एसपी को ज्ञापन दिया और गुंडे को पकड़ने की मांग करने लगे, विधायक जी ने भी राजनीतिक रूप से गुंडे को पकड़वाने के लिए अपने ही सरकार के कर्मचारी को डांट फटकार लगाकर 5 दिन का अल्टीमेटम दे डाला ।

आज 5 दिन का अल्टीमेटम खत्म होने पर विधायक जी ने कुर्सी टेबल घर के सामने बिछवाकर जनता दरबार लगाया, जिस पर अन्य आरोपियों के विरुद्ध क्या किया जाए ? पर चर्चा हुई ! बैठक बेनतीजा रही ।

सवाल यह उठता है कि, विधायक जी की मोहन सरकार नहीं सुन रही या फिर यहां पर सरकार के नुमाइंदे??

सरकार नहीं सुन रही तो विधायक जी को इस्तीफा दे देना चाहिए और यदि सरकार के नुमाइंदे नहीं सुन रहे तो शासन को पत्र लिखकर काम ना करने वाले अधिकारी कर्मचारी का ट्रांसफर करवा देना चाहिए ।

वैसे भी मंगलवार को जनसुनवाई तो चलती ही है और प्रत्येक सोमवार को कलेक्टर द्वारा टीएल बैठक लेकर कामकाज की समीक्षा भी की जाती है, इसके बाद भी सरकार के नुमाइंदों से जनता और विधायक नाखुश हैं तो यह शहर के चिंतनीय विषय है ।




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