कटनी जंक्शन --
वैसे तो भारत सरकार ने सिंगल यूज प्लास्टिक पर 1 जुलाई 2022 से पूर्णतः बैन लगा रखा है इसके बाबजूद यह पालिथिन कटनी के हर दुकानदार के पास आसानी से मिल जाती है, और इसकी थोक दुकानें भी शहर के बीच खूब गुलजार हो रही है। हर दुकान पर खुलेआम पालिथिन मिलने पर कहीं ना कहीं यह सवाल जरुर उठता है कि, क्या यह सिर्फ आम आदमी को नजर आता है?? क्या इस पर सरकारी अधिकारियों या कर्मचारियों की नजर नहीं पड़ती ?? और यदि पड़ती है तो कार्यवाही ना करने का मुख्य कारण क्या है ? क्या दुकानदारों का दबाव है या किसी जनप्रतिनिधि या नेता के दबाव के कारण यह विषाक्त वस्तु लगातार उपयोग में ली जा रही है ??
नाम ना बताए जाने की शर्त पर नगर निगम के एक कर्मचारी ने बताया कि नगर निगम अंतर्गत लगभग 90% कचरा बैन पालिथिन और बैन प्लास्टिक के जरिए ही आता है, जिसका निपटान और उठाव करने के लिए MSW को 30-32 लाख रुपये महीने का भुगतान होता है, यदि यह कचरा बाजार में आना बंद हो जाएगा तो कहीं ना कहीं कचरा उठाने वाली कंपनी को भारी भरकम नुकसान उठाना पड़ेगा, शायद यही कारण है कि बैन प्लास्टिक लगातार बाजार पर धड़ल्ले से आना जारी है ।
आपके लिए यह जान लेना आवश्यक है कि, कचरा निपटान और प्रबंधन के लिए जिले के कलेक्टर दायित्वाधीन होते हैं, संभवतः कलेक्टर महोदय के सख्त निर्देश पर ही जिले में पालिथिन बेचना, खरीदना और उपयोग करना बंद किया जा सकता है ।
इस संबंध पर जब नगर निगम कमिश्नर से जानकारी ली गई तो उनके द्वारा कहा गया कि -कचरा निपटान प्रक्रिया हमारे हाथ में है, जिसके लिए नगर निगम पूरी तत्परता से काम कर रही है ।