कटनी जंक्शन -- आईएएस तपस्या परिहार मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर जिले की रहने वाली हैं और उन्होंने अपने संघर्ष और मेहनत से यूपीएससी परीक्षा में 23वीं रैंक हासिल की। वह एक किसान की बेटी हैं और उनकी कहानी युवाओं के लिए प्रेरणादायक है। आइए उनकी कहानी जानते हैं ।
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
तपस्या परिहार का जन्म 22 नवंबर, 1992 को मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर जिले के जोवा गांव में हुआ था। उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा केंद्रीय विद्यालय से पूरी की और पुणे के इंडियन लॉ सोसायटी के लॉ कॉलेज से लॉ की पढ़ाई की ग्रेजुएशन के बाद उन्होंने सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी शुरू की.
संघर्ष और सफलता
पहले प्रयास में प्रीलिम्स में फेल होने के बाद, तपस्या ने हार नहीं मानी और दूसरे प्रयास में कड़ी मेहनत की। उन्होंने बिना कोचिंग के सेल्फ स्टडी की और अपनी रणनीति में बदलाव किया, जिससे उन्हें सफलता मिली। तपस्या ने यूपीएससी परीक्षा में ऑल इंडिया 23वीं रैंक हासिल की और आईएएस अधिकारी बन गईं।
प्रेरणादायक यात्रा
तपस्या की कहानी साबित करती है कि हालात चाहे जैसे भी हों, अगर इरादे मजबूत हों और मेहनत सच्ची हो, तो सफलता आपके कदम जरूर चूमती है।
उनकी यात्रा युवाओं के लिए प्रेरणादायक है और उन्हें अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए प्रेरित करती है।
व्यक्तिगत जीवन
तपस्या परिहार ने आईएफएस अधिकारी गर्वित गंगवार से मैरिज की। अब वे देश की सेवा में जुटे हैं और अपनी जिम्मेदारियों को बखूबी निभा रहे हैं ।
तपस्या परिहार और उनके कार्य
तपस्या परिहार एक ईमानदार और कड़क प्रशासनिक अधिकारी के रूप में जानी जाती हैं। उन्होंने छतरपुर जिले में जिला पंचायत CEO के रूप में ग्रामीण विकास, शिक्षा और स्वच्छता के क्षेत्र में कई नवाचार किए हैं।
उनके कुछ प्रमुख कार्य और उपलब्धियों के साथ ईमानदारी की मिसाल
एक निलंबित सरकारी शिक्षक ने उन्हें 50,000 रुपए की रिश्वत देने की कोशिश की जिसे उन्होंने न सिर्फ ठुकरा दिया बल्कि उस शिक्षक को रंगे हाथों पकड़वाकर जेल भिजवाया।
ग्रामीण विकास और शिक्षा
उन्होंने छतरपुर जिले में पंचायत सीईओ के रूप में ग्रामीण विकास शिक्षा और महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में कई अहम नवाचार किए।
प्रशासनिक सख्ती
उनकी कार्य करने की क्षमता और कार्य शैली में पारदर्शिता और टेक्नोलॉजी का बेहतर उपयोग साफ नजर आता है।
प्रेरणादायक अधिकारी
वे स्वयं मध्य प्रदेश प्रशासन में एक प्रेरणादायक अधिकारी के रूप में जानी जाती है और उनका सफर यह बताता है कि अगर इरादे मजबूत हो तो साधारण परिवार से निकलकर भी असाधारण ऊंचाइयों तक पहुंचा जा सकता है।
कटनी कलेक्टर की कहानी भी कुछ कम नहीं।
वहीं IAS व वर्तमान कटनी कलेक्टर आशीष तिवारी भी मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र के छतरपुर के मूल निवासी हैं, आशीष महत्वाकांक्षी सिविल सेवकों के लिए एक प्रेरणादायक व्यक्ति हैं. उन्होंने 2016 में ऑल इंडिया रैंक 6 के साथ देश की सबसे कठिन यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा पास की है ।
आशीष, जिन्होंने अपनी प्राथमिक शिक्षा एक सरकारी स्कूल से पूरी की और उसके बाद NIT जमशेदपुर से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की । वहीं, जब उन्होंने UPSC सिविल सेवा परीक्षा पास की, तब वे जयपुर में इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (IOCL) में काम कर रहे थे ।
भारत की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी के साथ फुल-टाइम जॉब को बैलेंस करना कोई आसान काम नहीं था. हालांकि, आशीष के केंद्रित दृष्टिकोण और अटूट दृढ़ संकल्प ने उन्हें सफलता दिलाई. उन्होंने दिन में अपनी नौकरी संभाली और रातें पढ़ाई में बिताईं, जिससे यह साबित हुआ कि अनुशासन और स्पष्ट लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए, कामकाजी पेशेवर भी कॉम्पिटेटिव परीक्षाओं में अच्छे परिणाम प्राप्त कर सकते हैं. उन्होंने अपने लक्ष्य के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को और अधिक स्पष्ट करते हुए शंकाओं का समाधान करने के लिए कभी-कभी दिल्ली की यात्राएं भी की ।
यूपीएससी परीक्षा में अपने दूसरे प्रयास में, आशीष ने लोक प्रशासन को अपने ऑप्शनल सब्जेक्ट के रूप में चुना, जो सार्वजनिक सेवा के माध्यम से लोगों की सेवा करने की उनकी इच्छा से जुड़ा था. उनके पिता, पीके तिवारी, जो भारत संचार निगम लिमिटेड (BSNL) में इंजीनियर के रूप में काम करते हैं, अपने बेटे की उपलब्धियों पर बहुत गर्व करते हैं. आशीष के संघर्ष के बारे में बात करते हुए, पीके तिवारी ने कहा कि आशीष की सफलता इस बात का सबूत है कि दृढ़ संकल्प और कड़ी मेहनत के साथ एक छोटे शहर का लड़का बड़ी ऊंचाइयों को छू सकता है ।
वर्तमान कटनी कलेक्टर आशीष तिवारी की कहानी दृढ़ता की शक्ति का एक जीता जागता सबूत है, और यह इस मिथक को खारिज करती है कि पेशेवर लोग काम करते हुए यूपीएससी परीक्षा में सफलता हासिल नहीं कर सकते ।
अब इन दो अधिकारियों से कटनी जिले और शहरवासियों को बहुत उम्मीदें हैं, लोग आश लगाए बैठे हैं कि, शायद अब कटनी की गाड़ी पटरी पर दौड़ लगाने में सफल हो ।
मनोज सिंह परिहार ✍️ ✍️
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