कटनी में नदियों को जीवन की दरकार, मार्च के अंत में ही सूख गई नदियां, अब पानी जानवरों के उपयोग लायक भी नहीं ।

कटनी जंक्शन -- कटनी शहर छोटी-बड़ी नदियों का शहर माना जाता है, कटनी शहर के नगर निगम क्षेत्र में कटनी नदी समेत 5 नदियां बहती हैं, जिनमें कटनी नदी, कौहारी नदी(कुठला), निवार नदी(पीरबाबा), माई नदी एवं रपटा (जुहला बाईपास के पहले) शामिल हैं, कभी हमेशा बहने वाली नदियां अब मार्च तक ही शहर के गंदे पानी एवं कचरे से भर जाती है, इस वर्ष भी मार्च के अंत तक इन सभी जीवनदायिनी नदियों की स्थिति ऐसी ही है । इसके साथ ही जिले की अन्य नदियां महानदी और रीठी से निकलने वाली केन नदी की स्थिति भी ऐसी ही है, किसी जमाने में पूरे समय पानी से लबालब रहने वाली प्रमुख नदी केन के उद्गम स्थल जल ही नहीं बचा है। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि इसी नदी पर देश का एक बड़ा केन-बेतवा प्रोजक्ट स्थापित हो रहा है । लेकिन इसके उद्गम स्थल पर जाने का रास्ता तक नहीं। साथ ही प्रशासन द्वारा प्रतिदिन हजारों ट्रक रेत निकालने की नीति के कारण महानदी का अस्तित्व खतरे में है, यह भी एक बरसाती नदी बनकर रह गई है, स्थिति यह है कि, इस नदी का बहाव रोकने कि लिए नवंबर में ही रेत माफिया बारिश बंद होते ही पोकलिन के माध्यम से अथक प्रयास करते हैं, और इस पर हर वर्ष सफल भी होते हैं। प्रशासन मूकदर्शक बनकर देखता रहता है।


गंदगी के साथ-साथ अतिक्रमण हावी --

कटनी नदी लगातार अतिक्रमण का दंश झेल रही है, कटनी नदी के साथ-साथ कौहारी नदी, निवार नदी, रपटा और माई नदी पर भी अतिक्रमण हावी है । नदियों के आसपास या यूं कहें कि नदियों के अंतिम छोर तक धीरे-धीरे मकान निर्माण हो रहे हैं, जिससे नदियों समेत जलीय जीवों का भी जीवन समाप्त होने की कगार पर है ।

नदियों के लिए कोई गंभीर प्रयास नहीं --

इन नदियों को बचाने के प्रयास लगभग नाकाफी साबित हो रहे हैं, या यूं कहें कि इन नदियों को बचाने के लिए दिखावटी प्रयास हो रहे हैं । कटनी नदी की स्थिति बद्तर होने पर भी माधवनगर इंडस्ट्रीज, बरगवां इंडस्ट्री समेत पूरे शहर का जहरीला पानी, नालों के माध्यम से सीधा नदी में डाला जा रहा है । जिससे कटनी नदी का पानी दूषित होने के साथ-साथ जहरीला भी हो रहा है ।

कटनी नदी से बुझती है शहरवासियों की प्यास पर इसे बचाने कोई आगे नहीं आता --

एक बड़ा प्रश्न यह भी है कि कटनी नदी को बचाने के लिए कोई भी सामाजिक संगठन, राजनेता या पार्टी गंभीर नहीं है । नदियों के दोहन के कारण कटनी में जल संकट आना और पानी की बूंद बूंद की किल्लत होना तय है । लोग भी कटनी नदी समेत सभी नदियों से पानी तो चाहते हैं लेकिन नदी बचाने के लिए कोई भी किसी प्रकार का सहयोग करने अथवा आवाज उठाने के लिए तैयार नहीं है।

नदियों के आसपास लगातार अवैध बोरवैल खनन --

नदियों के दोहन में एक बड़ा साथ बोरवैल खनन करने वालों का भी है, लोगों ने नदियों के आसपास लगातार हजारों बोरवैल खनन किया, तथा इसके पानी का उपयोग, खेती, ईंट भट्टे, इंडस्ट्रीज उपयोग में लिया, जिससे नदियों का जलस्तर दिन पर दिन गिरता गया । इन नदियों को संवारने की जरूरत महसूस की जा रही है। यहां प्रशासनिक स्तर पर प्रयासों की दरकार है। यदि आगामी 4-6 साल इसी तरह से नदियों का शोषण किया जाता रहा तो कटनी में पानी के लिए हाहाकार मचना तय है ।

कटनी जिले में ऐसी कई छोटी-बड़ी नदियां और जलस्रोत हैं जिन्हें संरक्षण की आस है। नदियां सूखी हैं, उदगम स्थल तक सूखे पड़े हैं। नदियों की दशा सुधारने के लिए प्रशासन, स्थानीय नागरिकों के मिलकर योजनाबद्ध तरीके से प्रयास करे तो जिले से जलसंकट हमेशा के लिए खत्म हो सकता है।

आशीष तिवारी ✍️✍️
9575759810

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