जगन्नाथ चौक में देशी फ्रिज का आगमन, कुम्हार गर्मी की तैयारी में जुटे ।

कटनी जंक्शन -- मध्यप्रदेश में गर्मियां शुरू होते ही देसी फ्रिज यानें कि, मिट्टी के मटकों की खपत बढ़ जाती है, इस बार मोटे मटके की मांग ज्यादा है, मोटे मटको के रेट ज्यादा होने के बावजूद लोग मोटे मटके लेना ज्यादा पसंद करते हैं । हम आपको बता दें कि कारीगरों द्वारा दो अलग-अलग प्रकार के मटके बनाए जाते हैं, जिसमें मोटे और पतले दो प्रकार के मटके होते हैं, मोटे मटके में पानी जल्दी और अधिक देर तक ठंडा रहता है. जबकि पतले मटके में पानी देर में ठंडा होता है ।

कटनी में मटके भजिया - भुड़सा गांव से आते हैं, मटके बनाने वाले मूलचंद प्रजापति ने बताया कि इन दोनों मटको में अलग-अलग अंतर हैं.जिसमें मोटा मटका छानी हुई मिट्टी से बनाया जाता है और इसमें अधिक समय लगता है इसके साथ ही यह महंगा भी होता है.साथ ही इसे बनाने में मेहनत भी दोगुनी लगती है.वहीं पतले मटके सादी मिट्टी से बनाए जाते हैं.जिसे बनाने में मेहनत तो कम लगती है.लेकिन इसमें पानी ज्यादा देर तक ठंडा नहीं रहता ।

चूंकि इन मटकों में पानी बिना बिजली के ठंड होता है और इसका खर्च भी बिल्कुल नही आता. बिल्कुल फ्रिज जैसा ठंडा पानी इन मटकों से लोग पी सकते हैं. इसलिए इन्हें ‘देसी फ्रिज’बोला जाता है.मोटे मटकों की मांग को लेकर अब कुम्हार मटके बनाने में जुट गए हैं,क्योंकि अभी तो गर्मी का सिर्फ आगाज हुआ है.जैसे-जैसे गर्मी बढ़ेगी तो वैसे- वैसे इनकी डिमांड में भी इजाफा होगा.भीषण गर्मी में लोगों के गले को तर करने में ये देसी फ्रिज बहुत ही उपयोगी हैं । तो वहीं एक्सपर्ट बताते हैं कि मटके का पानी शरीर के पीएच लेवल को भी मेंटेन रखता है.साथ ही पानी के टीडीएस लेवल को भी ठीक करता है ।

नरेश बजाज की कलम से

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