जिले में प्रशासनिक व्यवस्था ठप्प ! न्याय की गुहार लगा रहे जनप्रतिनिधि, कलेक्टर से नहीं सम्हल रहा जिला !

कटनी जंक्शन -- कटनी कलेक्टर आफिस में आए दिए अजीबो-गरीब धरना प्रदर्शन हो रहे हैं, ऐसा ही एक प्रदर्शन आज फिर कलेक्टर आफिस के परिसर में देखने मिला जब बहोरीबंद जनपद अध्यक्ष लाल कमल बंसल लोट लगाते हुए अपने समर्थकों के साथ नारे लगाते हुए कलेक्टर से मिलने पहुंचे। जनपद अध्यक्ष लाल कमल बंसल के लोट लगाते देख लोग उनका वीडियो बनाने लगे ।

जब इस संबंध में उनसे पूछा गया तो वे अपनी व्यथा बताते हुए कहने लगे कि, बहोरीबंद जनपद के मुख्य कार्यपालन अधिकारी अभिषेक झा द्वारा उन्हें प्रताड़ित किया जा रहा है, उनके द्वारा पंचायत राज अधिनियम का पालन नहीं किया जा रहा है, जनपद अध्यक्ष और सदस्यों को आहूत किए बिना ही जनपद में बैठके हो रही हैं, प्रस्ताव पास किए जा रहे हैं । तानाशाही चल रही है, इसकी शिकायत लगातार वरिष्ठ अधिकारियों से की जा रही है, सत्तारूढ़ भाजपा का सदस्य होने के बाद भी आज तक कोई कार्यवाही नहीं हुई है, जिससे व्यथित होकर इस तरह से अपनी बात रखने पर मजबूर होना पड़ा । उन्होंने ये भी कहा कि, वे दलित जाति से आते हैं इसीलिए सीईओ द्वारा इस तरह का कृत्य किया जा रहा है। जनपद अध्यक्ष ने चेतावनी दी है कि अगर एक महीने में कार्रवाई नहीं हुई तो वे आत्मदाह कर लेंगे। इसकी जिम्मेदारी शासन-प्रशासन की होगी ।

अभी पिछले हफ्ते ही जिला पंचायत के सदस्यों ने जिला पंचायत सीईओ श्री गेमावत के खिलाफ मोर्चा खोला था, जिस पर पहले ही प्रशासन बैकफुट पर नजर आ रहा है, और अब इसके बाद बहोरीबंद जनपद सीईओ की शिकायत पर प्रशासन की स्थिति काटो तो खून नहीं । इसके पहले मुड़वारा विधायक भी थाने के पीछे बाक्साईड और अवैध उत्खनन की खुले मंच से शिकायत कर चुके हैं, जिस पर भी कलेक्टर के अधीनस्थ माइनिंग विभाग की भूमिका संदेहास्पद बनी हुई थी ।

बड़ा सवाल -

अब बड़ा सवाल यह है कि, जब जनप्रतिनिधि ही इस तरह से प्रशासन के क्रियाकलापों से नाखुश रहने लगे, अधिकारी और कर्मचारी मनमानी करने लगें तो फिर सवाल उठना लाजमी है कि क्या जिले में सब सही चल रहा है ! जिले के मुखिया की नाक के नीचे जिले के अधिकारी किस तरीके से कार्य कर रहे हैं ? कलेक्टर हर हफ्ते कार्यों की जो समीक्षा लेते हैं, उस पर कितनी गंभीरता बरती जा रही है ? क्या गंभीरता बताने के लिए सिर्फ छोटे कर्मचारियों का गला घोंट कर बड़े अधिकारियों को संरक्षण दिया जा रहा है ?



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