कटनी को दशकों से मेडिकल कालेज का इंतजार, लोगों की आवश्यकता को मजाक समझते हैं जनप्रतिनिधि !

कटनी जंक्शन -- कटनी को जिला बने 27 वर्ष चुके हैं, जिला चिकित्सालय में प्रतिदिन कटनी समेत आसपास के जिले से सैकड़ों मरीज इलाज करवाने आते हैं । मरीज के जिला चिकित्सालय कटनी पहुंचते प्राथमिक इलाज भी प्रारंभ हो जाता है, लेकिन जैसे ही कोई गंभीर मरीज सामने आता है या फिर भर्ती मरीज सीरियस होता है, तो डाक्टर, तुरंत ही जिला चिकित्सालय में गहन चिकित्सा उपलब्ध ना होने पर मरीज को मेडिकल कालेज जबलपुर रिफर कर देते हैं।

कटनी में मेडिकल कालेज ना होने का भुगतान प्रतिदिन सैकड़ों लोगों को भुगतना पड़ता है, इसीलिए स्थानीय लोगों द्वारा मेडिकल कालेज की मांग दशकों से उठाई जा रही है, लेकिन अभी तक मेडिकल कालेज के नाम पर सरकार द्वारा कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए। दबी जबान लोग कहते नजर आते हैं कि, कटनी जिले के चारों विधायक कटनी में मेडिकल कालेज दशकों नहीं ला पाएंगे, साथ ही स्थानीय सांसद व सत्ताधारी पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष पर भी मेडिकल कालेज का सवाल, दबाव बनाता रहा है । संभवतः जितनी मेहनत स्थानीय सांसद को मेडिकल कालेज के लिए करनी थी उसमें काफी कमी रह गई !

विधायक और सांसद की बातों में असत्यता !

दिनांक -06/10/2023 को विधानसभा चुनाव के ठीक पहले जिला चिकित्सा आयुक्त भोपाल द्वारा कटनी मेडिकल कालेज के लिए जिला मुख्यालय से 10 किलोमीटर के अंदर जमीन आवंटित करने के निर्देश दिए थे ।

06/10/2023 को जारी पत्र, जिसमे कटनी कलेक्टर से जमीन की मांग की गई है 

हालांकि जमीन के आवंटन की तत्कालीन चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने 09/01/2021 को अपने कटनी के दौरे में कर ली थी, कागजों पर 25 एकड़ जमीन भी आवंटित कर दी गई थी, तो फिर अक्टूबर 2023 में चुनाव के पूर्व बकायदा पत्र लिखकर किससे और क्यों जमीन की मांग की गई ? क्या शासन द्वारा लिखित तौर पर भी झूठ बोला जाता है ?

09/01/2021 में जमीन के कागज देखते तत्कालीन चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग, विधायक, तत्कालीन कलेक्टर, तत्कालीन भाजपा जिलाध्यक्ष व अन्य

इसके ठीक बाद चुनाव जीतकर पुनः विधायक बने मुड़वारा विधायक ने जुलाई 2024 में विधानसभा में मेडिकल कालेज के लिए सत्तापक्ष का ध्यानाकर्षण करवाया, लेकिन जनवरी 2025 में निकली मेडिकल कालेज की लिस्ट में फिर से कटनी मेडिकल कालेज का नाम देखने नहीं मिलने पर, कटनी के नागरिक यही मानते हैं कि, कटनी के लोगों की आवश्यकता को यहां के जनप्रतिनिधि और प्रशासन मजाक समझते हैं।

पीपीपी मॉडल का कालेज आएगा कटनी के नाम ।

सूत्र बताते हैं कि कटनी में पीपीपी माडल का मेडिकल कालेज खोले जाने की योजना सरकार बना रही है, जिसके लिए 2 बार विज्ञापन के माध्यम से निवेशकों को आमंत्रित किया गया था, लेकिन एक भी निवेशक ने कटनी मेडिकल कालेज के लिए कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई है । लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा निदेशालय से जारी शर्तों के अनुसार, प्रत्येक मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस की 100 सीट होंगी। यह कॉलेज बिल्ड, फाइनेंस, आपरेट, मेंटेन और मैनेज आधार पर खोले जाएंगे। यानी निवेशकों को तय शर्तों के अनुसार कॉलेज बनाने में राशि लगानी होगी। संचालन, रखरखाव और प्रबंधन की जिम्मेदारी भी उन्हीं की होगी।

गंभीर बिमारी के लिए कटनी के पास कोई हल नहीं।

हृदय, दिमाग, कैंसर, किडनी, गंभीर दुर्घटना जैसी चिकित्सा के लिए कटनी में कोई इलाज नहीं है, कटनी जिला चिकित्सालय में केवल मूलभूत इलाज के लिए चिकित्सा व्यवस्था उपलब्ध है ।

सत्तापक्ष और विपक्ष दोनों मौन ।

कटनी जिले कै मेडिकल इमरजेंसी के लिए कटनी मेडिकल कालेज नितांत आवश्यक होने पर भी सत्तापक्ष तो मौन है ही, साथ ही विपक्ष भी इसे चुनावी मुद्दा बनाकर चुनाव के समय पर भुनाने का प्रयास करती रहती है, जिससे साफ झलकता है कि, लोगों की जरुरत से ज्यादा राजनीतिक लाभ लेने में नेताओं को दिलचस्पी है ।

संपादक - आशीष तिवारी की कलम से ।

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